Life Truthful fact - Osho

Life Truthful fact - Osho

जीवन :एक प्रतिध्वनिबहुत हैरानी की बात है ,एक आदमी घृणा के बीज बोये,और प्रेम की फसल काटना चाहे! अौर एक आदमीचारों तरफ शत्रुता फैलाए ,और चाहे कि सारे लोगउसके मित्र हो जाये! और एक आदमी सब तरफगालियां फेके,और चाहे शुभाशीष सारे आकाश से उसकेऊपर बरसने लगे !पर आदमी ऐसी ही असंभव चाह सकता है,दिइंपासिबल डिजायर ! मैं गाली दू और दूसरा मुझे आदर देजाये,ऐसी ही असंभव कामना हमारे मन में बैठती चलीजाती है।मै दूसरे को घृणा करूं और दूसरे मुझे प्रेम कर जाये।मैं किसी पर भरोसा न करू ,अौर सब मुझ पर भरोसा करलें।मैं सब को धोखा दू.,और मुझे कोई धोखा न दे।मैं सबको दुख पहुंचाऊ,लेकिन मुझे कोई दुख न पहुंचाए।यहअसंभव है।जो हम बोयेगे,वह हम पर लौटने लगेगा।और जीवन का सूत्र है कि जो हम फेंकते हैं,वही हम परवापस लौट आता है।चारों ओर से हमारी ही फेंकी गईध्वनियां प्रतिध्वनित होकर हमें मिल जाती हैं।देरलगती है।जाती है ध्वनि ,टकराती है बाहर कीदिशाओं से; वापस लौटती है,तब तक हमें खयाल भीनहीं रह जाता कि हमने जो गाली फेंकी थी,वहीवापस लौट रही है।जीवन में जब भी हम कुछ बुरा, कर रहे है तो हम किसीदूसरे के साथ कर रहे हैं,यह भांति है आपकी ।प्राथमिकरुप से हम अपने ही साथ कर रहे हैं।क्योंकि अंतिम फल हमेंभोगने है।वह जो भी हम बो रहे हैं ,उसकी फसल हमेंकाटनी है।इंच -इंच का हिसाब है इस जगत में कुछ भीबेहिसाब नहीं जाता है।@ओशो


print this post

Hi...! Readers ..! also following topics:

0 comments

Emoticon