Meditation Gunjan - OSHO

Meditation Gunjan - OSHO

गुंजन—‘’ध्यान’’ --‪#‎OSHO‬गुंजन करना बहुत सहयोगी हो सकता है और इसे आप कभी भी कर सकते हैं। कम से कम दिन में एक बार इसे करें। अगर आप दिन मेंदो बार कर सकें तो अच्छा होगा। यह इतना अद्भुत अंतर-संगीत है कि यह आपके पूरे प्राणों में शांति ला सकता है। तब आपके संघर्षरत अंग एक लय में आने लगते है और आप बस शांत बैठेंगे और आप एक सूक्ष्म संगीत को, ऐ भीतरी नाद को, एक प्रकार की गुंजन को सुन सकेंगे। सब कुछ इतने अच्छे ढ़ंग से चल रहा है, जैसे कि एक बिलकुल ठीक ढ़ंग से कार्य करती कार का इंजन एक खास लय में गुंजन करता हो।एक अच्छे ड्राइवर को तुरंत पता चल जाता है अगर जरा सी भी गड़बड़ी हो। यात्रियों को चाहे इस बारे में पता न लगे, लेकिन अच्छा ड्राइवर तुर्ंत जान लेता है जैसे ही इंजन की आवाज बदलती है। तब इंजन की आवाज लयबद्ध नहीं रहती है। कुछ नई आवाज आ रही है।वैसे ही अपने अंतर- नाद से अच्छी तरह परिचित व्यक्ति धीरे-धीरे अनुभव करने लगता है कि कब चीजें गलत जा रही है। यदि आपने ज्यादा भोजन ले लिया है तो आप देखेंगे कि आपका भीतरी छंद चूक रहा है। और धीरे-धीरे आपको चुनना पड़ेगा—यातो ज्यादा भोजन लें या भीतरी छंद को सम्हालें। और भीतरी छंद इतना अनमोल, इतना दिव्य, एक ऐसा आनंद है कि ज्यादा खाने की कौन चिंता करता है।और बिना किसी डाइटिंग के प्रयास के आप पाएंगे कि आप बहुत हीसंतुलित ढ़ंग से भोजन ले रहे है। तब भीतर का छंद और भी समस्वर हो जाता है। और आप स्पष्ट देख सकेंगे कि कौन से आहारआपके छंद में बाधा ड़ालते है। आप कुछ भारी भोजन लेते है और वह बहुत देर तक पाचन तंत्र में पडा रहता है, तब भीतर का छंद उतना लयबद्ध नहीं रहता।एक बार भीतर का छंद अनुभव में आ जाएं तो आप जान सकेंगे कि कबकामवासना उठ रही है, कब नहीं उठ रही है। और अगर पति-पत्नी दोनों ही भीतर के छंद से जी रहे हों तो आप चकित हो जाएंगे किदो व्यक्तियों के बीच कितनी गहराई, कितनी लीनता घट सकती है। और कैसे वे धीरे-धीरे एक दूसरे कें प्रति संवेदनशील हो जाते है, कैसे वे महसूस करने लगते है कि कब दूसरा उदास है, कहने की भी कोई आवश्यकता नहीं होती। जब पति थका होता है तो पत्नी सहज ही जान जाती है, क्योंकि दोनों एक ही वेवलेंथ पर जी रहे है, एक ही तरंग उन्हें आंदोलित करती है।ओशो—( आरेंज बुक )


print this post

Hi...! Readers ..! also following topics:

0 comments

Emoticon